शायद ही कोई ऐसा दिन बीतता हो जब किसी इंसान ने किसी से झूठ न बोला हो. कुछ लोग झूठ को इतना शक्तिशाली समझते हैं कि छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलना उनकी आदत हो जाती है. ज़िंदगी में कई मौके ऐसे होते हैं, जब लोग बिना वजह झूठ बोलते हैं. यानि, जहां झूठ बोलने की ज़रूरत न भी हो, वहां भी वो झूठ बोल बात बदलने की कोशिश करते हैं|
१.झूठा होने पे भी अपने आप को दूसरे के सामने झूठा न साबित करने की कोशिश में—
कहा जाता है एक झूठ को छुपाने के लिए कई झूठ बोलने पड़ते हैं। मगर झूठ पे झूठ बोलने से पहले यह बात सोच लेनी चाहिए कि जब हमारा झूठ पकड़ा जायेगा तब क्या होगा ? हमें अपने झूठ को बचाने के लिए और झूठ इसलिए भी बोलने पड़ते हैं क्योंकि अगर हमारें(झूठ बोलने वाले के) झूठ के बारे में सामने वाले को पता चल गया तो वो आगे से कभी आप पर विश्वास नहीं करेगा।
२. झूठ बोलते बोलते उसकी आदत लग जाने की वजह से मतलब एक समय ऐसा लगता ही नही की हम झूठ बोल रहे हैं—
जैसे अगर हम कोई गलत काम करने में इतना लिप्त हो जाते हैं कि हमें लगता ही नही की हम गलत कर रहे हैं, मतलब हमारा दिमाग उसे ही सही काम मानने लगे जाता है।
3.झूठ बोल कर हालातों को नियंत्रित करना
कभी-कभी हम सच बोल कर हालातों से हार मान लेते हैं, लेकिन वहीं झूठ बोलने वालों को ये लगता है कि वो ऐसा करके मामले को अपने नियंत्रण में ले लेंगे. सच्चाई कड़वी होती है, क्योंकि ये उनकी सोच से मेल नहीं खेल खाती|
4.वो किसी को निराश नहीं करना चाहते
कभी-कभी हमारे आस-पास मौजूद लोग हमसे इतना प्यार करते हैं कि वो सच बोल कर हमें निराश नहीं करना चाहते. इसीलिए वो अकसर झूठ बोल कर हमें ख़ुश करने की कोशिश करते हैं. इसके साथ ही उन्हें ये भी डर रहता है कि कहीं सच बता कर वो हमें खो न दें. कभी-कभी लोग सामने वालों की नज़रों में ख़ुद को अच्छा और बड़ा दिखाने के लिए भी झूठ बोलते हैं.
५. अच्छे काम के लिए,
कभी कभी हम कुछ अच्छे कामों के लिए भी झूठ बोलते हैं जैसे अगर किसी को कोई गम्भीर बीमारी है और डॉक्टर बोल दिया कि इस बीमारी के बारे में अगर उन्हें(जो बीमार हैं)बताया गया तो उनके साथ बुरा हो सकता है तो इस अच्छे काम के लिए भी कई बार झूठ बोलना पड़ता है की आपको कुछ नही हुआ है और मेरा मानना है इस तरह का झूठ क्षम्य है। इसपे मुझे वो सिर्फ एक्सल वाला प्रचार याद आ गया— “दाग़ अच्छे हैं”
6.उनके लिए झूठ, झूठ नहीं होता
रिसर्च के मुताबिक, हमारी स्मृति अविश्वनीय है. हमारी यादें कई चीज़ों से प्रभावित होकर, समय के साथ-साथ बदलती रहती हैं. कभी-कभी लोग मौजूदा हालातों से निकलने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं. कुछ चीज़ें उनके दिमाग़ पर इतना हावी हो जाती हैं कि वो सोच-सोच में ही अपनी एक अलग दुनिया बना लेते हैं. इसीलिए जब एक झूठा व्यक्ति किसी बात को लेकर सामने वाले शख़्स से झूठ बोलता है, तो वो झूठ उनकी नज़रों में झूठ नहीं होता.
7. झूठ को सच में बदलने कि ख़्वाहिश रखना
वैसे झूठ, झूठ होता है किसी के अच्छे के लिए बोला जाए या फिर बुरे के लिए. सच बोल कर आप सामने वाले को थोड़ी देर के लिए दुःख ज़रूर पहुंचा सकते हैं, लेकिन इससे आप आने वाले समय की तमाम परेशानियों से बच जाएंगे. इसके साथ ही सामने वाले की नज़रों में आपकी इमेज भी अच्छी बनी रहेगी और वो आपकी इज्ज़त भी करेगा.
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