10 Facts about Indus Valley Civilization - सिंधू घाटी सभ्यता से जुडे 10 तथ्य
1) सिंधू घाटी सभ्यता के बारे मे सबसे हैरानी की बात यह है की 100 साल पहले किसिने भी यह सोचा नही था की यतीत मे ऐसी कोई सभ्यता हुआ भी करती थी। आखीर क्यो इतिहास ने इस प्राचीन सभ्यता को भुला दिया? और क्या कारण है प्राचीन मिश्र और मेसोपोटेमिया की सभ्यता की तरह सिंधू घाटी सभ्यता को ध्यान नही रख पाये? इसका एक कारण यह है की इन लोगो ने दुसरी सभ्यता की तरह बडे मोन्यूमेंटल स्ट्रक्चर का निर्माण नही किया था। जैसे प्राचीन मिश्र के लोगो ने विशाल पिरॅमिड्स बनाये थे, जो उनकी सभ्यता ढह जाणे के बाद भी खडे रहे और आज भी मौजुद है।
2) हम यह नही जानते की सिंधू घाटी के लोग खुद को क्या केहते थे? मेसोपोटेमिया से जो लेखन प्राप्त हुये है उनसे यह पता चलता है की मेसोपोटेमिया के लोग मेलुहा (Meluhha) नाम के किसीं दूर देश के साथ व्यापार किया करते थे। अब दावे के साथ तो नही कहा जा सकता की ये मेलुहा कोणसा देश था? लेकीन बहोत से स्कॉलर ये मानते है की मेसोपोटेमिया के लोग सिंधू घाटी सभ्यता को ही मेलुहा केहते थे। या फिर ये भी हो सकता है की ये लॉग प्राचीन भारत को मेलुहा केहते हो। अगर ये सच है फिर भी कोई नही जाणता की वह भारतवासीयोंको मेलुहा क्यो कहते थे? और इस नाम का मतलब क्या है? इस बात के बहोत से सबुत मिले है की सिंधू घाटी और मेसोपोटेमिया के बीच व्यापारी संबंध थे। मेसोपोटेमिया से सिंधू घाटी के मोहरे भी प्राप्त हुई है। इसलीये यह मुंकीन है की मेसोपोटेमिया के लोग जिन्हे मेलुहा कहते थे वह सिंधू घाटी सभ्यता के लोग थे।
3) मोहेंजोदडो यह सिंधू घाटी सभ्यता का सबसे बडा शहर था। यह एक तरह का महानगर था। दिलचस्प बात ये है की समतल जगह मतलब मैदानो की सभ्यता थी लेकीन पुरा मोहेंजोदडो छोटे मोटे टीलोंपर बसा हुआ था। ये टिले कुदरत की देन नही थे, बलकी कच्ची और पक्की इटोंको लेके जमीन की सतह से उपर उठाया गया था। ताकी जब भी सिंधू नदी मे बाढ आये तो शहर को बचाया जा सके।
4) मोहेंजोदडो (Mohenjo-daro) यह सिंधी भाषा का शब्द है। इसका मतलब होता है मुर्दो का टिला! जाहीर सी बात है की दुनिया के कोई भी सभ्य लोग अपने शहर को मुर्दो का टिला नही बुलायेगी, ये नाम तो हमने इस प्राचीन शहर को डिया है। इस शहर का असली नाम क्या था ये तो हजारो साल पहले यहा रहणे वाले लोग ही जानते है। लेकीन अब आप यह सोच रहे होगे की इस शहर को मोहेंजोदडो नाम क्यो डिया गया? दरसल 1922 मे जब इस प्राचीन शहर की खोज हुई थी, तब यह पता चला की आसपास के लोग काफी लंबे अरसे से इस इलाके को मुर्दो का टिला कहते आ रहे थे। इसिलीये इस प्राचीन शहर को यही नाम दिया गया।
5) सिंधू घाटी सभ्यता की लोगोंको लिखना भी आता था। खुदाई के दौरान जो चीजे मिली है उनपर एक तरह की लिपी बनी हुई है। लेकीन आज तक इस लिपी को पढा नही जा सका है। इसका एक बडा कारण यह है की हम ये नही जानते की सिंधू सभ्यता के लोग आखीर कोनसी भाषा बोलते थे। लिंगविस्टिक एक्सपर्ट सालो से कोशीष कर रहे है इस लिपी को समझने की! माना जाता है की यह सिंधू घाटी सभ्यता उन पुराणी सभ्यता मे से एक थी जिन्होंने रायटिंग सिस्टम का आविष्कार किया था।
6) खुदाई के दौरान 3000 से भी ज्यादा स्टोन टॅब्लेटस मिली है। उन्हे सिल्स या मोहरे कहा जाता है। इन सिल्स पर जानवरो की आकृतीया बनी हुई है और देवताओ जैसी छबिया बनी हुई है। इन सिल्स पर उस जमाने की लिपी मे कुछ लिखा हुआ है। माना जाता है की कुछ सिल्स का इस्तेमाल व्यापार के सामानो पर मोहर लगाने के लिये किया जाता था। लेकीन हिस्टोरीयन्स मानते है की इन सिल्स का कोई दुसरा भी उपयोग रहा होगा। मतलब इनको किसीं दुसरे काम मे भी इस्तेमाल किया जाता होगा। वह दुसरा इस्तेमाल क्या था वह हम नही जान पाये है। इसके पिछे का सबसे बडा कारण यह है की हम ऊस जमाने की लिपी को आज तक समझ नही पाये है।
7) माना जाता है की सिंधू घाटी सभ्यता के लोगो की बडी आबादी गांव मे रहती थी। बदकिसमती से गाव मे रहणे वाले लोगोंके सोसायटी और कल्चर के बारे मे हम जादा जाणकारी हासिल नही कर पाये है। क्योंकी गाव मे रहणे वाले लोगो के घर लकडी और गारे के बनें हुये होते थे, जो की जलदी नष्ट हो जाते है। इसलीये उनका कोई निशाण बाकी नही है।
8) एक खास बात जीसने इतिहासकार को भी काफी हैराण किया है, यहा से ऐसे सबुत नही मिले जिससे ये कहा जा सके की इस सभ्यता मे किसीं राजा या बादशहा की हुकूमत रही होगी। अभि तक जो परमान मिले है उनसे ये पता चलता है की इन लोगोंके बीच शासन करणे वाला या कोई पॉवरफुल ऑथोरिटी नही रही होगी। इन लोगोंका समाज बडा ही शांतिप्रिय रहा होगा, जहा सभी को बराबर अधिकार मिलते होगे। ये भी जानना दिलचस्प होगा की एसी सोसायटी बिना किसीं सेंट्रल कंट्रोल के वजुद मे कैसे रही होगी।
9) खुदाई के दौरान लढाई मे इस्तेमाल होणे वाले औजार और हथियार ना के बराबर मिले है। युद्ध होने के भी कोई परमान नही मिले है। इस बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है की यह लोग अमन और चैन के साथ रहना पसंद करते होगे। इन लोगो को अपने समाज को सुरक्षित रखने के लिये किसीं भी सेना या फौज की जरूरत नही पडी होगी।
10) पहले यह माना जाता था सिंधू घाटी सभ्यता 5500 साल पुराणी सभ्यता है, लेकीन कुछ साल पहले आर्किओलॉजिकल सर्व्हे ऑफ इंडिया को ऐसे परमान मिले है जो बताते है की इन्ड्स व्हॅली सिव्हीलायझेशन करीब 8000 साल पुराणी सभ्यता है। यह नई खोज 25 मई 2016 को मशहुर पत्रिका नेचर मे प्रकाशित हुई थी। इस नई खोज ने दुनिया को यह बताया है की इन्ड्स व्हॅली सिव्हीलायझेशन ना सिर्फ इजिप्त और मेसोपोटेमिया की सभ्यता से भी पुराणी सभ्यता है। ये भी हो सकता है की यह दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता होगी!
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